आज मेरा (संजू) और माही का लेह में चौथा दिन है,और आज ही हमें ट्रैकिंग के लिए निकलना था। हम दोनों सुबह उठे और रेडी होकर नास्ता किया। इसके बाद हम बस का इंतज़ार करने लगे। जहां से ट्रेक शुरू होता वहां तक हमें बस से जाना था और ये बस हमारे ट्रेक के गाइड […]
आज मेरा (संजू) और माही का लेह में चौथा दिन है,और आज ही हमें ट्रैकिंग के लिए निकलना था। हम दोनों सुबह उठे और रेडी होकर नास्ता किया। इसके बाद हम बस का इंतज़ार करने लगे। जहां से ट्रेक शुरू होता वहां तक हमें बस से जाना था और ये बस हमारे ट्रेक के गाइड के तरफ से होता है। हमने पहले ही ट्रैकिंग की सारी बुकिंग कर रखी थी। तो हमे किसी चीज़ के बारें में सोचना नहीं था। कुछ देर बाद बस आ गई ,बस में बैठने से पहले जो ट्रेक की गाइड जो कर रहा था, उन्होंने ने बताया की आज हम ट्रेक के जगह पे जा रहें है वहां आपको बताया जायगा की ट्रैकिंग के दौरान कैसे ट्रेक करना है और कल से आप लोगों की ट्रेक शुरू हो जायगी। यह ट्रेक मेरा ड्रीम ट्रेक है इसलिए हमें अंदर ही अंदर बहुत ख़ुशी हो रही थी कि हम चादर ट्रेक करने जा रहें है। इस ट्रेक पे जाने से एक दिन पहले ही हमारा मेडिकल हो चूका था जिसका रिपोर्ट भी आ गया था। इसके बाद ही हमें ट्रैकिंग की अनुमति मिली थी। तो चलिए जानते है कि इस ट्रेक में हमें कितना मजा आया और क्या -क्या किया। साथ ही यह भी जानिए की इस ट्रिप पे जाने के लिए आपका कितना खर्च होगा।
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चादर ट्रेक लेह-लद्दाख का सबसे रोमांचक और अनोखा ट्रेक है। “चादर” का मतलब होता है “चादर या परत”, और इस ट्रेक का नाम इसलिए पड़ा क्योंकि ठंड के मौसम में ज़ांस्कर नदी पूरी तरह जम जाती है और मोटी बर्फ की परत (चादर) बिछी हुई दिखाई देती है। इस पर चलना ही चादर ट्रेक कहलाता है। यह ट्रेक सिर्फ़ एक यात्रा नहीं, बल्कि जीवन का रोमांचक और चुनौतीपूर्ण अनुभव माना जाता है। यह ट्रेक केवल जनवरी और फ़रवरी के सर्दियों के महीनों में ही संभव है, जब रात में तापमान -30°C (-22°F) से नीचे चला जाता है, और ज़ांस्कर नदी जम जाती है।
इस ट्रेक में बर्फीली नदी पर लगभग 60-70 किलोमीटर चलना है जो आपको 5 -6 दिनों में करना है। ट्रेक के दौरान शानदार घाटियों, हिमनद गुफाओं और बर्फ से ढके पहाड़ों से गुज़रेंगे। यह यात्रा ज़ांस्कर घाटी की बस्तियों को जोड़ती है, जो सर्दियों के दौरान बाकी दुनिया से दूर हो जाती है,और एक भौतिक और सांस्कृतिक रूप से आकर्षक बन जाती है।
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चादर ट्रेक इसलिए ख़ास है कि यहां पूरा ट्रेक जमी हुई ज़ांस्कर नदी पर किया जाता है, जो इसे सबसे अलग और बेहद अनोखा बनाता है। साथ ही अद्भुत नज़ारे ऊँचे-ऊँचे पहाड़, जमी हुई झरने और संकरी घाटियाँ किसी दूसरी दुनिया जैसा अनुभव देती हैं। लेकिन यह चुनौती और रोमांच: –20°C से –30°C तक की ठंड ट्रेक को कठिन लेकिन यादगार बना देती है। इसे फोटोग्राफी का स्वर्ग भी कहां जाता है,क्योकि बर्फ की गुफाएँ, जमी झरने और तारों भरा आसमान यहां की खूबसूरती को दोगुना कर देती है।
इस ट्रेक में मैं (संजू) और माही मैडम भी पूरी तरह से खुद को खो दिए थे। जैसे ही हमलोग ट्रेक के जगह पे पहुचें ऐसे लगा कही दूसरी दुनियां में आ गए। यहाँ का नज़ारा इतना सुन्दर था कि में आपको बया नहीं कर पा रहें। पहले दिन हमें यहाँ ये बताया गया की हम ट्रैकिंग के दौरान कैसे चले और इसे जुड़ीं जानकारियाँ दी। फिर रात को हमलोग यही नदी के किनारे टेंट में रुके। यहाँ का मौसम रात में बहुत ज्यादा ठण्ड हो जाती है। अगली सुबह फिर हमलोग उठे ,नास्ता कर के ट्रेकिंग की शुरुआत की। जब ट्रेक करना शुरू किये तब थोड़ा दर लग रहा था ,लेकिन मेरे साथ गाइड भी था तो थोड़ा हिमम्त आ गई। फिर हम लोग लगभग 2 घंटे ट्रैकिंग करने के बाद लंच ब्रेक लिया ,ट्रेक के बीच -बीच में आराम करते हुए आगे बढे। रास्तें में हमदोनों बर्फीली चादर पर खूब मस्ती किए और साथ में फोटो वीडियो बनाया। कुछ घंटे के बाद हम लोग ब्रेक लिया ट्रेक से, आगे का ट्रैकिंग अगले दिन करना था। क्योकि यहां बहुत ठण्ड थी इसलिए ज्यादा देर तक ट्रेक करना सही नहीं होता है। जब रात में हमलोग रुकें तो सभी साथ में खूब मस्ती भी किये वहां पे हमलोगों ने आग जलाया और वही पे सभी लोग बैठ के गाना गए ,फिर थोड़ी देर डांस भी किया। इसके बाद सभी खाना खा के सोने चला गया।
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अगली सुबह हमलोग उठे फिर नास्ता कर के निचे नदी में गए और ट्रैकिंग की शुरुआत किये। आज ट्रेक करने से पहले हमें नदी के पानी में नहाना भी था। नहाने के लिए सभी नदी की बहती हुई पानी के पास पहुचें , जो की बहुत ज्यादा ठण्ड थी। आप समझ सकते है की नदी का पानी कितना ठंडा होगा जिसके ऊपर ठंड से बर्फ की मोटी चादर बन गई हो। फिर भी हम लोग जल्दी से नहाए और गर्म कपडे पहने ,फिर थोड़ी देर आराम किया। इसके बाद कुछ दूर ट्रैकिंग किया। लेकिन हमें बीच ट्रेक में ही वापस आना पड़ा क्योकि आगे सड़क बनने का काम चल रहा था। इसी वजह से आगे की ट्रेक रुक दिया गया। फिर वापस हमलोग अपने बस में आएं और होटल के लिए निकल पड़े।
अगर आपको भी ट्रैकिंग करना पसंद है तो आप एक बार चादर ट्रेक जरूर करें। यह आपको सभी ट्रेक से अलग महसूस कराएगा। इसके लिए आपको ज्यादा कुछ करना भी नहीं जैसे आप हर ट्रेक पर जाते है ऐसे ही इसको भी प्लान कर के बुकिंग कीजिये और एक बार जरूर जाये. यह ट्रेक जनवरी-फरवरी में होता। इसके लिए आपको हेल्थ का खास ध्यान देना होगा। क्योकि लेह-लद्दाख में बहुत ठण्ड होता है तो आपका शरीर इस ठण्ड को झेल सके इतने पावर होना चाहिए तभी आप इस ट्रिप को कर सकते है।
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चादर ट्रेक करने के लिए सबसे पहले ट्रेक की बुकिंग करनी होगी। जिसमें 17000 रुपए प्रति व्यक्ति लगता है। अगर आप प्लान से जा रहें है तो आने -जाने का टिकट का खर्च लगभग 8000 के आस पास आएगा। फिर आपका वहां मेडिकल होगा और वाइल्ड परमिशन ,इन्शुरन्स लगाकर एक व्यक्ति के 5500 रुपए लगता है। अगर अब आप यहाँ घूमते सयम कुछ खरीदतें है तब आपका खर्च अधिक होगा।
Ans . चादर ट्रेक लेह-लद्दाख में जमी हुई ज़ांस्कर नदी पर किया जाने वाला रोमांचक शीतकालीन ट्रेक है। सर्दियों में नदी पर बर्फ की मोटी परत जम जाती है और उसी पर पैदल चलकर ट्रेक पूरा किया जाता है।
Ans: यह ट्रेक सिर्फ़ जनवरी से फरवरी के बीच संभव है, जब ज़ांस्कर नदी पूरी तरह जम जाती है।
Ans: ट्रेक की शुरुआत लेह से होती है। acclimatization के बाद सफर चिलिंग गाँव से शुरू होता है।
Ans . अच्छी फिटनेस और stamina , गरम कपड़े और गमबूट ,Sleeping bag और कैंपिंग gears
लेह में acclimatization के लिए कम से कम 2 दिन।