चोपता-तुंगनाथ ट्रेक : संजू और माही की प्राकृतिक और आध्यात्मिक यात्रा। 

चोपता-तुंगनाथ ट्रेक : संजू और माही की प्राकृतिक और आध्यात्मिक यात्रा।

मैं (संजू) और माही 2 फरवरी 2024 को नोएडा से चोपता घूमने के सुबह 6 बजे निकले थे। उसी दिन शाम में हमलोग चोपता पहुंच गए ,लेकिन हमें चोपता से लगभग 5 किलोमीटर दूर ही रोक  दिया गया ,क्योकि वहां बहुत बर्फबारी हो रहा था। इसके बाद हमें वहां के लोकल वाहन से चोपता पहुंचाया […]

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मैं (संजू) और माही 2 फरवरी 2024 को नोएडा से चोपता घूमने के सुबह 6 बजे निकले थे। उसी दिन शाम में हमलोग चोपता पहुंच गए ,लेकिन हमें चोपता से लगभग 5 किलोमीटर दूर ही रोक  दिया गया ,क्योकि वहां बहुत बर्फबारी हो रहा था। इसके बाद हमें वहां के लोकल वाहन से चोपता पहुंचाया गया। कुछ समय बाद शाम से रात होने वाली थी, इसलिए हमलोगों ने वहां रुकने के लिए एक होटल बुक किया। चोपता मे फरवरी में  बर्फ़बारी हो रही थी इसीलिए यहां  का मौसम बहुत ज्यादा ठंडा था।  हमलोग को स्नो फॉल देख कर बहुत मजा आ रहा था। मैं (संजू)और माही मैडम दोनों इस मौसम का खूब लुप्त उठा रहें थे।  वहीं इस बात का एक्ससिटेमेंट भी था की अगले दिन हमें चोपता के सबसे फेमस मंदिर तुंगनाथ मंदिर का ट्रैकिंग करना है।  तो जानिए इस ब्लॉग के माध्यम से कि हमलोगों ने इस ट्रेक में कितना एन्जॉय किया और चोपता से जुडी कुछ अनकहीं चीज़ों के बारें में।  

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तो सबसे पहले जानते है चोपता के बारे में 

चोपता उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित एक बेहद खूबसूरत और शांत हिल स्टेशन है। इसे “भारत का मिनी स्विट्ज़रलैंड” भी कहा जाता है, क्योंकि यहाँ की हरी-भरी घाटियाँ, बर्फ से ढकी चोटियाँ और घने जंगल पर्यटकों को विदेशी पहाड़ों जैसा अनुभव देता हैं। यह जगह खासकर ट्रेकिंग और प्रकृति प्रेमियों के लिए स्वर्ग मानी जाती है। चोपता समुद्र तल से लगभग 2,600 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। यहाँ साल भर ठंडी और सुखद जलवायु रहती है, जबकि सर्दियों में यह पूरी तरह बर्फ से ढक जाता है, तब भी यहाँ पर शैलानियों के भीड़ उमड़ी हुए रहती है।  

चोपता में घूमने की जगह 

वैसे तो चोपता में घूमने की जगह बहुत सारे है।,यहाँ का हर एक जगह अपने आप में बहुत ख़ास माना जाता है, लेकिन इसके आसपास कई ऐसे स्थल हैं जो यात्रियों को प्राकृतिक, धार्मिक और रोमांचक अनुभव कराते हैं। यहाँ घूमने योग्य ये प्रमुख स्थान है। 

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तुंगनाथ मंदिर

चंद्रशिला पीक

देवरिया ताल

कांची खोली पास

माध्यमहेश्वर मंदिर

डुग्गल बिट्टा

ओमकारेश्वर मंदिर (उखीमठ)

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इन सभी जगह में से एक जगह हम भी घूमने गए थे। वह जगह था तुंगनाथ मंदिर। जो समुद्र तल से 3,680 मीटर की ऊँचाई पर स्थित और दुनिया का सबसे ऊँचा शिव मंदिर है। ऐसा माना जाता है की पंचकेदारों में से एक और चोपता की सबसे पवित्र जगह। यहाँ तक पहुँचने के लिए चोपता से लगभग 3.5 किमी का ट्रेक करना होता है। जो कि सामान्य दिनों में आसान होता है, लेकिन उस दिन बर्फबारी ने इसे बेहद चुनौतीपूर्ण बना दिया। रास्ते पर बर्फ की मोटी परत जमी थी, जिस पर चलते हुए कई बार फिसलने का डर होता था। लेकिन जैसे-जैसे ऊँचाई बढ़ती गई, बर्फ से ढकी चोटियाँ और मंदिर की ओर जाती पगडंडी की खूबसूरती ने थकान को भुला दिया। हमदोनो मस्ती करते हुए तुंगनाथ मंदिर पहुंच गए। यहाँ पहुंच कर हमलोगों ने मदिर में दर्शन किया। इसके बाद थोड़ी देर आराम किया। फिर मंदिर के आस पास के जगह पर घूमें ,बहुत सरे फोटो वीडियो बनाया। अब आपके मन में जानने की इच्छा हो रहीं होगी की यह मंदिर इतना खास क्यों है ,तो चलिए जानते है इस मंदिर के बारें में।  

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तुंगनाथ मंदिर

तुंगनाथ मंदिर उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित है और यह समुद्र तल से लगभग 3,680 मीटर (12,073 फीट) की ऊँचाई पर बना हुआ है। इसे दुनिया का सबसे ऊँचा शिव मंदिर माना जाता है। यह मंदिर न सिर्फ स्थापत्य और प्राकृतिक सुंदरता के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि इसका इतिहास भी महाभारत काल से भी जुड़ा हुआ है।

महाभारत काल से जुड़ी कहानी। 

 ऐसा कहां जाता हैं कि महाभारत युद्ध के बाद पांडवों ने अपने कुल के विनाश और ब्राह्मण हत्या के पाप से मुक्ति पाने के लिए भगवान शिव की तलाश कर रहें थे ,तब भगवान शिव उनसे नाराज़ थे और उनसे मिलने से बचने के लिए उन्होंने बैल (नंदी) का रूप धारण कर लिया और हिमालय में छिप गए। लेकिन पांडव उनका पीछा करते हुए इस क्षेत्र में पहुँचे गए थे। 

कथा के अनुसार, 

वहीं कथा के अनुसार भगवान शिव का हृदय और भुजाएँ तुंगनाथ में प्रकट हुईं, जबकि उनके शरीर के अन्य अंग पंचकेदार के अन्य मंदिरों (केदारनाथ, रुद्रनाथ, मध्यमहेश्वर और कल्पेश्वर) में प्रकट हुए। तभी से यहाँ तुंगनाथ में शिवजी की पूजा होती है।

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तुंगनाथ मंदिर के कपाट खुलने और बंद होने का समय:

खुलने का समय:- अप्रैल या मई से लेकर नवंबर तक। यह गर्मियों और बरसात के मौसम में होता है जब बर्फ की स्थिति ट्रेकिंग के लिए सुरक्षित रहती है।

बंद होने का समय :- नवंबर से अप्रैल तक। सर्दियों में भारी बर्फबारी के कारण मंदिर के कपाट बंद कर दिए जाते हैं और पूजा-अर्चना उखीमठ के ओमकारेश्वर मंदिर में होती है। 

इस मंदिर में जाने के बाद मैं और माही बहुत खुश हो गए ,यहाँ के वातावरण दिलों को छू गया।लेकिन जब हमलोग गए थे तब यह मंदिर बंद हो रखा था क्योकि मंदिर बर्फ से पूरी तरह से ढाका हुआ था।  इसलिए हम लोग पूजा नहीं कर पाए लेकिन  कुछ देर यहाँ शांति से बैठ के यहाँ के बारें में वहां के लोकल लोगों से पूछा ,यहाँ के बारे जाना। इसके बाद हमलोग यहाँ से वापस चोपता आने के लिए ट्रैकिंग की शुरुआत कर दिया।  इसके बाद हम लोग यहाँ से वापस अपने होटल आये और चोपता से नोएडा आने के लिए निकल पड़े।

Q . तुंगनाथ मंदिर कहाँ स्थित है?

Ans . तुंगनाथ मंदिर उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में चोपता के पास हिमालय की गोद में स्थित है।

Q . तुंगनाथ मंदिर की ऊँचाई कितनी है?

Ans . तुंगनाथ मंदिर समुद्र तल से लगभग 3,680 मीटर (12,073 फीट) की ऊँचाई पर स्थित है।

Q . तुंगनाथ तक कैसे पहुँचा जा सकता है?

Ans . चोपता से लगभग 3.5 किमी का ट्रेक करके तुंगनाथ पहुँचा जाता है। यह ट्रेक बर्फबारी में चुनौतीपूर्ण होता है लेकिन बेहद खूबसूरत है।

Q . तुंगनाथ के आसपास और कौन-सी जगहें घूमने लायक हैं?

Ans . चंद्रशिला पीक, देवरिया ताल और चोपता घाटी यहाँ के प्रमुख आकर्षण हैं।

Q . संजू और माही किस महीने में चोपता गए थे ?

Ans . संजू और माही फरवरी के महीने में चोपता गए थे।

Nishu

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