यात्रा की शुरुआत: नोएडा से खीरगंगा तक मैं, संजू और माहि ने अपनी खीरगंगा ट्रेक की यात्रा 31 अगस्त 2024 को सुबह 5 बजे नोएडा से शुरू की। सुबह का समय था, इसलिए रास्ते में हमें ज्यादा ट्रैफिक का सामना नहीं करना पड़ा। हम सभी सफर के लिए काफी उत्साहित थे, और एक एडवेंचरस ट्रिप […]
मैं, संजू और माहि ने अपनी खीरगंगा ट्रेक की यात्रा 31 अगस्त 2024 को सुबह 5 बजे नोएडा से शुरू की। सुबह का समय था, इसलिए रास्ते में हमें ज्यादा ट्रैफिक का सामना नहीं करना पड़ा। हम सभी सफर के लिए काफी उत्साहित थे, और एक एडवेंचरस ट्रिप का प्लान बनाकर निकले थे।
नोएडा से निकलते ही हमने पहला स्टॉप मुरथल पर किया, जो अपने प्रसिद्ध पंजाबी ढाबों के लिए मशहूर है। वहां हमने गरमा-गरम पराठों के साथ चाय का आनंद लिया। मुरथल का ब्रेकफास्ट सफर की शुरुआत के लिए एकदम परफेक्ट था।
मुरथल से आगे बढ़ते हुए, हमने रास्ते में एक पंजाबी ढाबे पर रुककर लंच किया। थकान दूर हो गई और हम फिर से ताजगी से भर गए।
शाम के करीब, हम कसोल पहुँचे, जो हिमाचल प्रदेश का एक छोटा लेकिन खूबसूरत गांव है। कसोल के हर तरफ पहाड़ों के बीच एक अलग ही शांति और सुकून का माहौल था। हमने वहां एक सुंदर हट-टाइप होटल में ठहराव किया और कसोल के नजारों का पूरा आनंद लिया।
अगले दिन सुबह हमने बारशैणी के लिए निकलना शुरू किया, जो खीरगंगा ट्रेक का शुरुआती बिंदु है। बारशैणी पहुँचकर हमने अपनी गाड़ी सड़क के किनारे पार्क की और वहां से ट्रेक की शुरुआत हुई। ट्रेक काफी सुंदर और अद्भुत था। पहाड़ी रास्ते के साथ-साथ नदियां बह रही थीं, और हर मोड़ पर नया दृश्य देखने को मिलता।
ट्रेक के दौरान हमें कई ढाबे मिले जहां हम थोड़ी देर रुककर चाय और स्नैक्स का मजा ले रहे थे। रास्ते में कई खूबसूरत झरने भी देखने को मिले, जो इस ट्रेकिंग अनुभव को और भी यादगार बना रहे थे। हर कदम पर प्रकृति की खूबसूरती और शांति का अनुभव हो रहा था।
शाम तक, करीब 5 बजे, हम खीरगंगा पहुँच गए। ऊपर पहुँचकर हमने टेंट में ठहराव किया। ठंडी हवा और पहाड़ों के बीच, हमने रात को बोनफायर का आनंद लिया। बोनफायर के आस-पास बैठे हम सभी अपने ट्रेकिंग अनुभव के बारे में बात कर रहे थे। रात में एक समय पर बारिश शुरू हो गई थी, जो सुबह तक चलती रही।
सुबह बारिश थमी, और हमने 10 बजे वापसी शुरू की। सफर नीचे उतरते समय थोड़ा मुश्किल था, लेकिन प्रकृति के बीच से उतरना भी एक अनोखा अनुभव था। लगभग 2 बजे तक हम बारशैणी वापस पहुँच गए।
बारशैणी से लौटते समय, हमने कसोल के एक प्यारे से रेस्तरां, पार्क इट अप, में लंच किया। वहां का खाना साधारण लेकिन बहुत स्वादिष्ट था, और रेस्तरां की लोकेशन भी बहुत अच्छी थी, जहां बैठकर हम प्रकृति का आनंद ले रहे थे।
लंच के बाद, हमने नोएडा के लिए वापस यात्रा शुरू की। सफर थोड़ा लंबा था, लेकिन खीरगंगा ट्रेक की यादें हमारे साथ थीं, जो हमें सफर भर एनर्जी देती रहीं। रात को हम नोएडा अपने घर सुरक्षित पहुँच गए।
खीरगंगा ट्रेक एक यादगार अनुभव रहा। इस ट्रेक ने हमें न सिर्फ प्रकृति के करीब लाया, बल्कि एक शांति और सुकून का एहसास भी दिया। बारशैणी से खीरगंगा तक का सफर उन लोगों के लिए परफेक्ट है जो एडवेंचर के साथ थोड़ा आध्यात्मिक कनेक्शन भी ढूंढना चाहते हैं।