
ऐसा माना जाता है कि उत्तराखंड की अद्भुत वादियों में बसे कुमाऊँ क्षेत्र की खूबसूरती दुनिया भर के ट्रेकर्स को अपनी ओर खींचती है। इन्हीं प्राकृतिक चमत्कारों में से एक है Panchachuli Trek, जहाँ पाँच विशाल बर्फ़ से ढकी हिमालयी चोटियाँ आकाश को छूती हुई दिखाई देती हैं। यह ट्रेक न सिर्फ adventure lovers के […]
ऐसा माना जाता है कि उत्तराखंड की अद्भुत वादियों में बसे कुमाऊँ क्षेत्र की खूबसूरती दुनिया भर के ट्रेकर्स को अपनी ओर खींचती है। इन्हीं प्राकृतिक चमत्कारों में से एक है Panchachuli Trek, जहाँ पाँच विशाल बर्फ़ से ढकी हिमालयी चोटियाँ आकाश को छूती हुई दिखाई देती हैं। यह ट्रेक न सिर्फ adventure lovers के लिए स्वर्ग है, बल्कि उन लोगों के लिए भी जो प्रकृति की गोद में शांति और सुकून की तलाश करते है। ऐसे ही तलाश में मैं (संजू ) -माही भी निकले थे ,जो सिर्फ शांति और सुकून भरा हुआ हो और रोज की भागदौड़ की जिंदगी से शांति का पल बीता सके।
दरअसल मैं (संजू ) और माही ने दिवाली की छुट्टी को यादगार बनाना चाहते थे इलसिए हम दोनों ने ट्रैकिंग का प्लान बना के निकल पड़े। सबसे पहले हमदोनो खलिया टॉप का ट्रेक किये इसके बाद यहां के आस पास की फेमस जगह Madkot Hot Spring Water घुमा इसके बाद अब Panchachuli Trek बनाया। अब आपके मन में भी Panchachuli के बारें में जानने का इच्छा हो रहीं होगी। तो सबसे पहले हम आपको इस ब्लॉग के माध्यम से Panchachuli के बारे में बतायंगे। इसके बाद हम आपको यहाँ आने का अपना अनुभव बताएँगे।

Read More article :- संजू–माही की शांत वादियों, सफ़ेद चोटियों के बीच एक अलौकिक पर्वतीय सफर।
Panchachuli नाम पाँच चोटियों के समूह को दर्शाता है, जिनकी ऊँचाई लगभग 6,334 मीटर से 6,904 मीटर तक है। यहाँ के स्थानीय लोगों के अनुसार, Panchachuli की चोटियों पर ही पांडवों (प्राचीन भारत के दो प्रमुख संस्कृत महाकाव्यों में से एक) ने स्वर्ग जाने से पहले अपना अंतिम भोजन बनाया था। इसी वजह से इसका धार्मिक महत्व बहुत अधिक है। ये चोटियाँ (या पंचाचूली बेस कैंप) कुमाऊँ क्षेत्र (जिसे अक्सर उत्तराखंड का हनीमून गेटअवे कहा जाता है) के पिथौरागढ़ शहर से लगभग 150 किलोमीटर दूर स्थित हैं। Panchachuli की ट्रेक धारचूला से शुरू हो जाता है ,जब की धारुक से 50 किलोमीटर दूर है जहाँ से ट्रेक की शुरुआत होती है।
इस ट्रेक के लिए अप्रैल से जून का समय सबसे अच्छा माना जाता है। इसके बाद सितंबर से नवंबर (विशेषकर सितम्बर से अक्टूबर) का समय भी बहुत उपयुक्त होता है। दरअसल मानसून (जुलाई–अगस्त) के समय और बहुत ठंड वाले महीनों (दिसंबर–फरवरी) में ट्रेक करना कम सुझाया जाता है क्योंकि मौसम अनिश्चित और जोखिम भरा होता है।
Read More article :- स्किन कोर्स करने के लिए क्या योग्यता होनी चाहिए?
पहले हमलोग मुनस्यारी से निकल के पिथौरागढ़ गए वहां हॉट स्प्रिंग वाटर घूम कर आगे कुमाऊँ के लिए निकल गए। यहाँ से रास्ता बहुत दूर था इसलिए हमलोग ने प्लान किया की आगे शाम तक हमलोग धारचूला पहुंच जायँगे और वही आज का रात बितायेंगे। इसके बाद अगले सुबह से यहाँ से आगे के लिए निकलेंगे। हमने ऐसा ही किया शाम होते -होते धारचूला पहुंच गए थे हुए वहां एक अच्छा से रूम देख कर बुक किया। रूम बहुत ही अच्छा था यहाँ से बाहर का दृश्य बहुत ही अद्भुत दिखाई दे रहा था। शाम हो गया था तब इतना अच्छा देख रहा था ,तो हमने सोचा की सुबह की चाय यही बाहर बालकोनी में बैठ के पिया जाएगा। दरअसल धारचूला से बहुत ही पास नेपाल दिखाई दे रहा था। धारचूला और नेपाल के बीच बस एक छोटी सी नदी बाह रही थी जो बॉर्डर का काम कर रही थी. यहाँ के स्थानीय लोग ने बताया की यहाँ से नेपाल जाना बहुत आसान है और यहाँ से लोग नेपाल में शादी भी करते है। ऐसा लग रहा था की यहाँ का रिस्ता नेपाल से बहुत अच्छा है। कुछ देर बाद हमदोनो ने खाना खाया और आराम करने चले गए।
अगली सुबह हमलोग उठे ,रेडी हो कर बाहर का सुंदरता को नज़ारा देखते हुए चाय पिया। इसके बाद यहाँ से निकला गए Panchachuli ट्रेक जहाँ से शुरू होता वहां जाने के लिए। आगे का रास्ता बहुत ही ख़राब था इसलिए मैं (संजू ) कार बहुत धीरे चला रहें थे लगभर 12 -15 के स्पीड पे। लेकिन रास्तें की सुंदरता दिल को छू ले रहे था ,यह का रास्तें का नज़ारा बहुत ही ज्यादा मनमोहक था। चारों साइड सिर्फ बड़ी -बड़ी हरियाली से भरा हुआ पहाड़ा की चोटिया देख रही था साथ में बहती ही नदी। जो इस दृश्य को और भी ज्यादा सुन्दर बना रही थी। इसे देखते देखते हम दोनों अपना सफर का आनंद ले रहें थे।
Read More article :- जानिए Award Winner मेकअप आर्टिस्ट Preeti का inspiring सफर।
बीच -बीच में छोटा सा लोहे का पूल मिल रहा था जो एक साइड से दूसरे साइड जाने के लिए बना था वो देखने में तो सुन्दर। रास्तें में हमलोग एक जगह रुकें जहाँ पे मैं चाय पिया और माही मैडम ने खाना खाया। कुछ देर बाद हमलोग Panchachuli Base Camp पहुंच गए। यहाँ के मौषम बहुत ही ठंडा था साथ ही मौषम भी ख़राब हो रखा था। ऐसा लग रहा था की पहाड़ों पर बर्फ पद रहा है इसी वजह से Base Camp का मौषम ख़राब सा लग रहा था। इसलिए हमलोग एक दिन यहाँ रुकने का प्लान बना लिए और यहाँ आप पास में रुकने के कुछ जगह था वहां पर एक कमरा बुक किया। यहाँ का तापमान -4 डिग्री के आस पास था बहुत जी ज्यादा ठंडा थी।

Panchachuli Base Camp में आज पहला दिन था और आज यही रुकना भी था तो हमने शाम में यह के आस पास के इलाके का भ्रमण करने का सोचा। शाम होते ही हमदोनों बाहर निकला गए ,बाहर बहुत ठंडा थी। फिर कुछ दूर चलने के बाद एक लोहे का पूल मिला वहां तक हमलोग घूमें आगे ज्यादा नहीं गए ठण्ड बहुत थी। यहाँ का शाम का मुषम भी बहुत प्यारा था। एक साइड सनसेट हो रहा और दूसरी और बर्फ पद रही पहाड़ पड रहा था। अगली सुबह जब हमलोग सुबह उठे तो बहुत ठण्ड थी बाहर ,बारिश भी हो रही थी। तो सुबह सुबह ट्रेक के लिए नहीं गए थोड़ी देर हमलोग बारिश छूटने का इंतज़ार किया। इसके बाद हमलोग यहाँ से करीब 8 :30 बजे के आस पास ट्रेक शुरू किया। यह ट्रेक लगभग 7 किलोमीटर का होने वाला था। जिसमें से 3 किलोमीटर का ट्रेक Panchachuli Base Camp तक का था। इसके बाद लगभग 4 किलोमीटर का ट्रेक जीरो पॉइंट का था जहाँ से Panchachuli की पांचों चोटिया एक साथ देखे देती है।
Read More article :- हाइड्राफेशियल कोर्स क्या है और आपके करियर के विकास के लिए इसके लाभ क्या हैं?
Panchachuli base camp पहुंच गए करीब एक घंटे ट्रेक करने के बाद इसके बाद यहाँ युगलु बना था उसको देखा ,फोटो लिए और आगे ट्रेक के लिए चल दिए। क्योकि आज ही ट्रेक कर के धारचूला वापस जाना था ताकि वहां जा कर रुकने के लिए व्यवस्था कर सके। दरसल यहाँ रुकना सही नहीं था बहुत ज्यादा ठण्ड पद रही थी। इसलिए हमलोग ने ट्रेक जल्दी करने का सोच रखा था। हमलोग करीब 11 बजे जीरो पॉइंट पे पहुंच गए। वहां जाने के बाद अद्भुत नज़ारा देखा। Panchachuli की चोटियों बर्फ से लदा हुआ था और एक अलग से चमक आ रहा था उससे। ये देखने के दिल को बहुत सुकून मिला ऐसा लग रहा था यहाँ रोज घूमने औ।
कुछ देर यहाँ के आप पास के अद्भुत दृश्य को देखता रहा फिर मैं (संजू) -माही ने बहुत सारा फोटो क्लिक कराया यादों के लिए ,वीडियो भी बनाया। यहाँ पर हमलोग के साथ साथ यहाँ के स्थानीय लोग भी आ रखे थे ,उन लोगों ने उत्तराखंड के लोकल गाना जा रहें थे ,हमने भी सुना इसके बाद थोड़ा डांस किया, मौज-मस्ती किया। इसके बाद वापस चल दिए वहां से। ट्रेक कर के लगभग हमलोग 1 :30 बजे के नीचे आ गए थे। फिर हमलोग यहाँ थोड़ा खाना खाया और यहाँ से वापस धारचूला के लिए निकल गए। अगर आप भी मेरे तरह अपनी छुट्टियों को यादगार बनाना चाहते हो और अभी कहीं छुट्टी मानाने का सोच रहा है और आपको ट्रेक करना पसद है तो आप एक बार यहाँ का ट्रेक जरूर करे। यह धरती का स्वर्ग जैसा लगेगा। आप एक बाद Panchachuli जरूर ट्रेक के लिए आये।

Ans. Panchachuli Base Camp उत्तराखंड के कुमाऊँ क्षेत्र में पिथौरागढ़ जिले के पास स्थित है। यह ट्रेक धारचूला से शुरू होता है, जो मुनस्यारी से लगभग 150 किलोमीटर दूर है।
Ans. यह ट्रेक लगभग 7 किलोमीटर का होता है — जिसमें से 3 किलोमीटर बेस कैंप तक और 4 किलोमीटर जीरो पॉइंट तक होता है।
Ans. इस ट्रेक के लिए अप्रैल से जून और सितंबर से नवंबर (खासकर सितंबर-अक्टूबर) सबसे बेस्ट होता है। वहीं मानसून (जुलाई-अगस्त) और भारी सर्दी (दिसंबर-फरवरी) में ट्रेक करना मुश्किल और जोखिम भरा होता है।
Ans. Panchachuli की पाँच चोटियों की ऊँचाई 6,334 मीटर से 6,904 मीटर तक होती है।
Ans. सर्दियों या खराब मौसम में तापमान 0°C से -4°C तक जा सकता है। इसलिए गर्म कपड़े साथ ले जाना जरूरी है।