कश्मीर की वादियाँ हमेशा से अपनी सुंदरता और शांति के लिए प्रसिद्ध मनी जाती हैं। इन्हीं वादियों के बीच श्रीनगर की पहचान है डल झील (Dal Lake), जिसे “ताज का हीरा” भी कहा जाता है। यहाँ की शिकारा सवारी हर यात्री के लिए सपनों जैसा अनुभव होती है। मेरा (संजू) और माही का यात्रा का […]
कश्मीर की वादियाँ हमेशा से अपनी सुंदरता और शांति के लिए प्रसिद्ध मनी जाती हैं। इन्हीं वादियों के बीच श्रीनगर की पहचान है डल झील (Dal Lake), जिसे “ताज का हीरा” भी कहा जाता है। यहाँ की शिकारा सवारी हर यात्री के लिए सपनों जैसा अनुभव होती है। मेरा (संजू) और माही का यात्रा का सबसे यादगार पल भी यही रहा, क्योकिं मैंने भी डल झील में शिकारा की सवारी की और कश्मीर की असली खूबसूरती को महसूस किया। घुड़सवारी के बाद हमलोगों ने आराम किया और अगले दिन सुबह होतें ही डल लेक जाने के लिए निकल गए।
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डल झील के आस पास का नज़ारा देख के मेरा मन वही अटक गया। यहाँ का नज़ारा बहुत ही आकर्षक और मनमोहक था। बीएस दिल कर रहा था वह बैठे के आस -पास को देखते रहे. कुछ देर बाद माही मैडम ने कहाँ अब डल झील में शिकारा का सवारी करतें है। फिर हमलोगों ने वहां के बहुत सारे शिकारा को देखा जिसका अलग- अलग और मस्त नाम था। अगर आप कभी कश्मीर घूमने जा रहें है तब डल झील को जरूर घूमे और शिकारा का लुप्त जरूर उठाये। हम आपको इस ब्लॉग के माध्यम से बतायंगे की हमें यहाँ घूम के कैसा लगा और क्या एक्सपीरियंस क्या।
डल लेक की सबसे खास पहचान है इसकी शिकारा राइड। लकड़ी की खूबसूरत नक्काशीदार नाव पर बैठकर हमदोनों ने झील का नज़ारा लिया। पानी पर तैरते हुए बाग-बगीचे, हाउसबोट्स और दूर-दूर तक फैले पहाड़ मन मोह लेने वाले थे। शिकारे वाले ने उन्हें कश्मीर की लोककथाएँ और झील के इतिहास के किस्से सुनाए, जिससे सफर और भी रोचक हो गया।
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डल झील श्रीनगर (कश्मीर) की शान है और इसे “कश्मीर का गहना” भी कहा जाता है। इसका इतिहास बहुत पुराना और रोचक है।
प्राचीन मान्यता के अनुसार ,पुराणों और लोककथाओं में, डल झील एक बार झील नहीं बल्कि एक मैदान था, जिसे “सतीसर” कहा जाता था।
कश्मीर घाटी में एक दानव (जलोद्भव) रहता था जिसे ऋषि कश्यप ने खत्म किया। दानव के अंत के बाद इस क्षेत्र से पानी निकल गया और कश्मीर घाटी बनी, जिसमें डल झील भी शामिल है।प्राचीन मान्यता
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मुग़ल काल में डल झील का महत्व और बढ़ गया। बादशाह जहांगीर और शाहजहाँ को यह झील बेहद प्रिय थी। उन्होंने इसके किनारे खूबसूरत शालीमार बाग और निशात बाग जैसे मुग़ल गार्डन बनवाए। डल झील मुग़ल सम्राटों के लिए आराम और प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद लेने की जगह थी। वहीं अंग्रेज़ों के समय में भी डल झील प्रसिद्ध रही। ब्रिटिश लोग कश्मीर में जमीन नहीं खरीद सकते थे, इसलिए उन्होंने डल झील पर ही हाउसबोट्स बनवाए और रहने लगे। यही परंपरा आज भी जारी है। यहाँ आज भी लोगों जाते हो तो एक रात बोट्सहाउस पर जरूर रूकतें हैं।
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मैंने और माहि मैडम ने भी बोट हाउस पे रहना का प्लान किया। डल लेक की सैर करते करते हमलोग अपने बोट हाउस पे पहुंच गए। इसके बाद हमलोगों ने वह से खुबसुरत नज़ारा का मजा उठाया। फिर रत हो गई तो ुमलोग खाना खा के सो गए। अगले सुबह जब उठे तो जो नज़ारा मैंने देखा देख के दांग रहा गया। जैसे ही सूरज की पहली किरणें झील के पानी पर पड़ीं, लहरों में सुनहरी चमक बिखर गई। शांत वातावरण और पक्षियों की मधुर चहचहाहट ने माहौल को और भी सुकूनभरा बना दिया। इस सुकूनभरा पल को होमलोगों इ खुद लुप्त उठाया इसके बाद यहाँ से हम लोग अगर की सफर के लिए निकल पड़े। जब हमलोग निकल रहें थे यहाँ तभी एक पर एक शिकारा में कश्मीरी ऊनि वस्र बेच रहा था। उनसे भी बात किया उन्होंने भी बताया यहाँ बहुत ठण्ड पड़ती है इसलिए हमलोग ये कड़पें घूम -घूम कर बेचते है ताकि किसी को जरूरत हो तो खरीद सके।