कश्मीर की खूबसूरत वादियों में घूमना अपने आप में एक सपना होता है। बर्फ से ढकी चोटियाँ, झीलों का शांत पानी और ठंडी हवाएँ—यह सब मन को शांति और सुकून से भर देता है। मैं (संजू ) और माही मैडम भी यहाँ के हसीन मौषम का लुप्त उठा रहें थे। साथ आज के दिन दीपावली […]
कश्मीर की खूबसूरत वादियों में घूमना अपने आप में एक सपना होता है। बर्फ से ढकी चोटियाँ, झीलों का शांत पानी और ठंडी हवाएँ—यह सब मन को शांति और सुकून से भर देता है। मैं (संजू ) और माही मैडम भी यहाँ के हसीन मौषम का लुप्त उठा रहें थे। साथ आज के दिन दीपावली भी था तो और भी खास हो गया। हम दोनों कश्मीर के श्रीनगर में इधर उधर मौषम के साथ वहां के प्रसिद्ध जगहों को घूम ही रहा था. तभी अचानक माही मैडम को लाल चौक की याद गई।
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दरअसल लाल चौक बहुत ही प्रसिद्ध स्थान नामा जाता है कश्मीर। यहाँ आने वाले हर एक सैलानि यहां जरूर आते है। तो हमने भी पलान बनाया की लाल चौक जाया जाये शाम में। अब आपके मन में यह सवाल आ रहा होगा की ऐसा क्या है खासियत लाल चौक का। तो आये हम आपको इस ब्लॉग में यहाँ से जुड़ीं चीज़ों और इतिहास के बारें में बताते है।
अभी शाम होने में बहुत समय था तो हम लोगों ने लाल चौक जाने से पहले रास्ते में पारी महल मिलता तो सोचा जब तक शाम नहीं होता इसे घूम लिया जाये। पारी महल जाने के बाद हमे ऐसा लगा अगर हम यहाँ नहीं जातें तो एक अच्छी जगह नहीं घूम पातें । पारी महल नाम से ही लग रहा है कि यह कोई रानी का बहुत बड़ा महल रहा होगा,लेकिन ऐसा नहीं है। यह विद्वान का आश्रम और खगोलशास्त्र की शिक्षा केंद्र हुआ करता था। मैं जैसे ही इस महल को देखा आंख खुली की खुली रह गई यह देखने में इतना सुन्दर था। यहाँ पहाड़ के चोटी पे था तो यहाँ से इसके आस पास के दृष्य बेहद आकर्षक था। यहाँ पे हमलोगों ने खुद मस्ती की धीर सारा फोटो लिया। कुछ समय में अंधेरा होनी वाली थी तो हमलोग ने यहाँ से लाल चौक के लिए निकला गए ताकि टाइम से पहुंच कर दिया जला सकें।
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कश्मीर की वादियाँ जितनी खूबसूरत हैं, उतना ही आकर्षक है यहाँ का इतिहास और वास्तुकला। श्रीनगर की डल झील के ऊपर एक पहाड़ी पर स्थित परी महल ऐसा ही एक अद्भुत स्थान है, जो अपनी सुंदरता और रहस्यमयी आभा के लिए जाना जाता है। परी महल का निर्माण 17वीं शताब्दी में मुगल शासक शाहजहाँ के पुत्र दारा शिकोह ने करवाया था। यह मूल रूप से एक सूफ़ी विद्वान का आश्रम और खगोलशास्त्र की शिक्षा देने का केंद्र था। यहाँ खगोल विज्ञान, खगोल अध्ययन और आध्यात्मिक शिक्षा दी जाती थी।
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लाल चौक (Lal Chowk), श्रीनगर कश्मीर की रूह और पहचान माना जाता है। यह सिर्फ़ एक जगह ही नहीं, बल्कि इतिहास, राजनीति और संस्कृति का जीवंत प्रतीक है। बता दें कि लाल चौक का नाम रूस की “रेड स्क्वेयर” से प्रेरित होकर रखा गया था। जहाँ पर आज़ादी की लड़ाई से लेकर कई महत्वपूर्ण राजनीतिक घटनाएँ घटी हैं। यह चौक उस जगह के रूप में जाना जाता है जहाँ भारतीय तिरंगा कई बार फहराकर एकता और अखंडता का संदेश लोगों को दिया गया। इसलिए यह सिर्फ़ श्रीनगर का केंद्र नहीं, बल्कि पूरे भारत के लिए गर्व की जगह मानी जाती हैं। इसलिए यहाँ कोई सालों से दिवाली के दिन सभी लोग मिलकर यहाँ बहुत सारे दिया जलाते है।
वहीं लाल चौक श्रीनगर का सबसे व्यस्त बाज़ार भी माना जाता । जहां कि कश्मीरी शॉल, पेपर माशी कला, सूखे मेवे और हस्तशिल्प की रौनक देखने लायक होती है। त्योहारों के समय यह चौक और भी रंगीन और जीवंत हो जाता है।
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जब दीपावली जैसे त्यौहार की रोशनी, कश्मीर के लाल चौक में फैलती है, तो उसका असर दिल को छू लेने वाला होता है। इस बार जब मै और माही मैडम ने अपने छोटे-छोटे दीये वहाँ जलाए, तो ऐसा लगा मानो कि मैंने सिर्फ़ चौक को रोशन नहीं किया, बल्कि अपने सफर की यादों को भी अमर कर दिया।
वहाँ खड़े होकर हमें एहसास हुआ कि रोशनी सिर्फ़ दीयों में नहीं, बल्कि दिलों में भी जगती है। दीपावली का पर्व, जो अंधकार पर प्रकाश की विजय का प्रतीक है, वहीं कश्मीर की ठंडी हवाओं और खूबसूरत नज़ारों के बीच और भी पावन और अद्भुत लग रहा था। लाल चौक की रोशनी में दीपों की जगमगाहट ने वातावरण को एक नई ऊर्जा और उम्मीद से भर दिया। इसके बाद हमलोगों ने वहां बहुत सारे फोटो लिए जो हमें ययः से जाने केबाद यादों ले तौर पे हमेसा साथ रहेंगा। इसके कुछ देर बाद हमलोग यहाँ से वापस अपने होटल चले गए। वहां जा कर हम आराम किये ताकि अगली सुबह हम नई सफर पर फिर जा सके.