Pahalgam Trip : प्यार और यादों से भरी माही-संजू की पहलगाम यात्रा।

Pahalgam Trip : प्यार और यादों से भरी माही-संजू की पहलगाम यात्रा।

कश्मीर की धरती को यूँ ही “जन्नत-ए-खुदा” नहीं कहा जाता। जब मैं और माही मैडम पहलगाम पहुँचे तो हमारे सामने प्रकृति की वो तस्वीर खुल गई, जो किताबों और कहानियों में ही सुनने को मिलती थी या फिर फिल्मों में देखा करतें थे।  आज हमदोनों को वो सभी नज़ारा सामने से देख रहा था।  लिद्दर […]

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कश्मीर की धरती को यूँ ही “जन्नत-ए-खुदा” नहीं कहा जाता। जब मैं और माही मैडम पहलगाम पहुँचे तो हमारे सामने प्रकृति की वो तस्वीर खुल गई, जो किताबों और कहानियों में ही सुनने को मिलती थी या फिर फिल्मों में देखा करतें थे।  आज हमदोनों को वो सभी नज़ारा सामने से देख रहा था।  लिद्दर नदी की ठंडी हवाएँ, चारों ओर फैली हरी-भरी वादियाँ और दूर बर्फ से ढकी चोटियाँ , दिल में एक अजीब सा ख़ुशी महसूस हो रही थी। हमलोगों ने थोड़ी देर यहां की खूबसूरती को देखा फिर यहां के घूमने की जगह को देखने के लिए घुड़ सवारी की और पूरा घूमने वाले जगहों को घूमने के लिए निकल पड़े।  तो आज हम आपको इस ब्लॉग में पहलगाम के अद्भुत एक्सपीरियंस को आप लोगों को शेयर करुगा। ताकि जब आप कश्मीर घूमने जाओ तो इन सभी जगह हो घूम सको। 

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पहलगाम के बारें में…

नाम की उत्पत्ति

“पहलगाम” शब्द का अर्थ है ‘चरवाहों का गाँव’ (Village of Shepherds)। पहले यहाँ कश्मीर के चरवाहे अपनी भेड़-बकरियों को चराने के लिए आया करते थे, इसी वजह से इसका नाम पड़ा।

प्राचीन धार्मिक महत्व

पहलगाम का धार्मिक महत्व अमरनाथ यात्रा से जुड़ा हुआ है। मान्यता है कि भगवान शिवजी ने माता पार्वती को अमरत्व का रहस्य यहीं बताते हुए अमरनाथ गुफा तक का सफर शुरू किया था। इसीलिए हर साल लाखों श्रद्धालु पहलगाम से चंदनवारी, फिर शेषनाग होते हुए अमरनाथ गुफा की यात्रा करते हैं।

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मुगल और डोगरा का

मुगल शासनकाल में पहलगाम को प्राकृतिक सौंदर्य और ठंडी जलवायु की वजह से पसंद किया जाता था। डोगरा साम्राज्य (19वीं सदी) में भी यह इलाका धार्मिक और पर्यटन महत्व का केंद्र बना रहा।

 पर्यटन की शुरुआत

अंग्रेजों के समय में पहलगाम की खूबसूरती को अंतरराष्ट्रीय पहचान मिलने लगी। ब्रिटिश अधिकारी और यात्री यहाँ की वादियों में गर्मियों के दौरान घूमने और आराम करने आते थे। आज पहलगाम केवल एक धार्मिक स्थल ही नहीं, बल्कि एक मशहूर पर्यटन स्थल भी है। यहाँ फिल्मी दुनिया का भी गहरा रिश्ता है — कई मशहूर बॉलीवुड फिल्मों की शूटिंग यहाँ की गई है, जैसे बेताब (1983), जिसके नाम पर बेताब वैली प्रसिद्ध हुई।

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घूमने की जगह 

. बेताब वैली

. अरु वैली

. चंदनवारी

. लिद्दर नदी 

. बायसरान 

. तुलियन झील

. पाहलगाम गोल्फ कोर्स

बेताब वैली 

हमने सबसे पहले बेताब वैली घूमने के लिए गए। यह पहलगाम का सबसे सुन्दर जगह माना जाता है। यह हरी-भरी वादियाँ, बर्फीले पहाड़ और बहती नदियाँ के वासा है। इस जगह का नाम फिल्म के नाम पर रखा गया है,दरअसल यहां पर बॉलीवुड फिल्म बेताब की शूटिंग यहाँ हुई थी, इसलिए  इसका नाम बेताब रखा गया। जो कि भी पिकनिक, फोटोग्राफी और प्रकृति का आनंद लेने के लिए आदर्श जगह में माना जाता है। मैंने और माहि मैडम ने भी यहाँ खूब सारा फोटो और वीडियो बनाया।  फिर हमदोनों ने यहाँ से घुड़ सवारी कर के यहां के आस पास के इलाके में भ्रमण किया ,जो बेहद रोमांच रहा।  साथ ही हमलोगों ने यहाँ के लोकल लोगों से भी बात किया , जो हमे यहाँ के बारें में बता रहें थे। उनसे बात कर अच्छा लगा की उन्होंने हमे बेताब वैली के बारें में बताया।  

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बैसरन घाटी 

ऐसा कहां जाता है कि अगर स्विट्ज़रलैंड घूमना आपकी बकेट लिस्ट में है, लेकिन आपका बजट आपको रोक रहा है, तो पहलगाम की बैसरन घाटी घूम लीजिये। क्योकिं बैसरन भी कुछ ऐसे ही नज़ारे पेश करती है, जैसे स्विट्ज़रलैं। घने देवदार के जंगलों से ढके पहाड़ी घास के मैदानों और बर्फ से ढके पहाड़ों की मनमोहक सुंदरता इसे पहलगाम में घूमने के लिए सबसे अच्छी जगहों में से एक बनाती है। एक साहसिक अनुभव के लिए आप घोड़े की सवारी कर सकते हैं या तुलियन झील तक ट्रेकिंग कर सकते हैं। मैं और माही मैडम ने भी घुड़ सवरी कर के यहां के सुन्दर नज़रों का लुप्त लिया। इसके बाद हमलोगों ने यहाँ से आगे का सफर जारी किया।  

चंदनवारी

 पहलगाम का चंदनवाड़ी, “पवित्र अमरनाथ यात्रा का प्रवेश द्वार”, घाटी के बाहरी इलाके में 16 किलोमीटर दूर स्थित है। अगर आप किसी शांत दर्शनीय स्थल की तलाश में हैं, तो यह पहलम में घूमने के लिए सबसे अच्छी जगहों में से एक माना जाता है। यह बर्फ से ढके पहाड़, उफनती लिद्दर नदी, हरे-भरे जंगल और चट्टानी इलाके मनमोहक दृश्य प्रस्तुत करते हैं जो आपको कहीं और नहीं मिलेंगे। इस नज़रों का मजा हमदोनों ने भी खूब लिया इसके बाद हमलोगन ने यहां बहुत सारे फोटो यादों के तौर पे क्लिक कराये।  इसके बाद हमलोग यहां से निकलने का तैयारी कि क्योकिं शाम हो गई थी और ठंड काफी बढ़ रही थी।  

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पहलगाम से वापस 

पहलगाम से वापस आतें वक़्त हमलोगों ने सोचा की यहाँ से ड्राई फ्रूट ले लू। क्योकिं ऐसा मैंने सुना है की यहां बहुत तरह के अलग -अलग ड्राई फ्रूट मिलते है और हमलोगों ने एक शॉप पे गया और वहां बहुत तरह के ड्राई फ्रूट रखे थे।  हमने भी वहां से कुछ मेवा लिया। इसके बाद वहां से वापस आ गए। रात हो चुकी थी और हमलोग थक भी चुके थे तो सोचा आज रात कहीं कहीं गुजरा जायगा इसके बाद हमलोगों ने होटल ही तलाश की काफी देर बाद एक होटल मिला करीब रात के 11 बजे के आस पास फिर हमदोनों ने वहां खाना खाया और सो गए।  अगले दिन हमलोग वापस कश्मीर से नोएडा के लिए निकल पड़े।  लेकिन जो भी हो ये ट्रिप हमारी जिंदगी की सबसे यादगार और रोमांचक ट्रिप रहीं।  

Nishu

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