मैं (संजू) और माही आज फिर से एक नई ट्रेक पे जा रहें है। इस ट्रेक की एक्स्टमेंट ओर ट्रैकिंग से बहुत ज्यादा हो रही थी। इस ट्रैकिंग के बारें में हम आज तक सुना ही था लेकिन इस बार मुझे कारण का मौका मिल रहा है। मैं इस बार लैह- लदाख का चादर ट्रेक […]
मैं (संजू) और माही आज फिर से एक नई ट्रेक पे जा रहें है। इस ट्रेक की एक्स्टमेंट ओर ट्रैकिंग से बहुत ज्यादा हो रही थी। इस ट्रैकिंग के बारें में हम आज तक सुना ही था लेकिन इस बार मुझे कारण का मौका मिल रहा है। मैं इस बार लैह- लदाख का चादर ट्रेक पे जा रहा था। दरअसल चादर ट्रेक लेह-लद्दाख का सबसे रोमांचक और अनोखा ट्रेक माना जाता है। यह ट्रेक ज़ंस्कार नदी के जमी हुई सतह (चादर) पर किया जाता है, इसलिए इसे चादर ट्रेक कहा जाता है। मेरा यह ड्रीम ट्रेक था ,इसलिए मैं और भी ज्यादा खुश हो रहा था। सबसे पहले मैं (संजू) और माही नोएडा से सुबह 6 बजे एयरपोट के निकले। इसके बाद प्लेन से लैह पहुंचे। वहां पहले से ही होटल बुक था इलसिए मैं वहां गया और अपने रूम पे आराम करने लग गया।
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अगले दिन हमे वहां के आस पीस के जगहों को घूमना था। लेह में ठंड बहुत पड़ती है,यहाँ का नार्मल डे का तापमान -15 डिग्री था। फिर भी हमलोग अपने ट्रेक के लिए बहुत ज्यादा खुश हो रहें थे। अभी ट्रैकिंग शुरू होने में दो दिन था ,क्योकि ट्रैकिंग पे जाने से पहले सब का मेडिकल होता है। इसके बाद ही ट्रेक के जाने की परमिशन मिलता है। इसलिए हमदोनों का भी मेडिकल होने में दो दिन बाकि था इसलिए हमलोगों ने सोचा की तब तक यहाँ के यहाँ के आस पास जगहों को घूम लिया जाये। हम आपको इस आर्टिकल के द्वारा बतायंगे की हमदोनों यहां कहां कहां घूमे और हमारा एक्सपीरियंस कैसा रहा यहाँ घूमने का , तो सबसे पहले लेह-लद्दाख के बारें में जानते है।
भारत के उत्तरी छोर पर स्थित लद्दाख की राजधानी लेह को “हाई पासेस की भूमि” कहा जाता है। जो समुद्र तल से लगभग 11,500 फीट की ऊँचाई पर बसा लेह अपनी प्राकृतिक खूबसूरती, ऐतिहासिक धरोहरों और बौद्ध संस्कृति के लिए दुनियाभर में मशहूर है। यह जगह रोमांच प्रेमियों, आध्यात्मिक यात्रियों और प्रकृति को करीब से देखने वालों के लिए किसी स्वर्ग से कम नहीं। वहीं लेह चारों ओर से हिमालय और काराकोरम पर्वतमालाओं से घिरा हुआ है। नीला आसमान, बर्फ से ढकी चोटियाँ, सुनहरी घाटियाँ और शांत झीलें यहाँ आने वाले हर यात्री को मंत्रमुग्ध कर देती हैं। चाहे सूर्योदय हो या तारों भरी रात,या चादर ट्रेक , लेह हर पल फोटोग्राफी और यादगार अनुभवों के लिए परफेक्ट जगह माना जाता है।
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लेह पैलेस
शांति स्तूप
थिकसे मठ
हेमिस मठ
मैग्नेटिक हिल
हॉल ऑफ फेम
ज़ंस्कार नदी की ट्रेक
इन सभी जगहों को आप लेह-लद्दाख में घूम सकतें है। लेकिन मैं (संजू) जहाँ रुका था वहां से दो जगह ही पास पड़ रहा था, इसलिए हम बस वही जगह को घूमने का सोचा। यहां बहुत ज्यादा ठण्ड हो रही थी इसलिए भी हमने ज्यादा घूमने का प्लान किया,क्योकि हमें दो दिन बाद ट्रेक भी करना था। सबसे पहले हमलोग घूमते घूमते लेह पैलेस घूमने के लिए निकल गए। यह मेरे होटल के बहुत पास था। इसे घूमने के लिए हम रूम से निकल के मार्किट साइड होते हुए पहुंच गए। तो जानिए लेह पैलेस के बारें में।
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लेह पैलेस लद्दाख की सबसे प्रमुख ऐतिहासिक धरोहरों में से एक माना जाता है। यह महल न सिर्फ वास्तुकला का शानदार उदाहरण है बल्कि लद्दाख के शाही इतिहास की भी झलक दिखाता है। इसका निर्माण 17वीं शताब्दी में राजा सेंगे नामग्याल ने करबाया था। यह देखने में बहुत खूबसूरत इमारत है। ऐसा खा जाता है की यह नौ मंज़िला इमारत थी और कभी इसमें लद्दाखी शाही परिवार का निवास स्थान हुआ करती थी। लेकिन कश्मीर के डोगरा शासकों के हमले के बाद शाही परिवार को यहाँ से शरण छोड़नी पड़ी।जो अब पडी है और लोग यहाँ घूमने आतें है। यहाँ मैं (संजू) और माही भी घूमने गए। हम दोनों को बहुत प्यारा लगा यह महल। फिर हमलोग ने यहां पर फोटो क्लिक किया। इसके बाद हम वापस अपने रूम पे चले गए क्योकि शाम हो रहीं थी और ठंड बढ़ते ही जा रही थी।
अगले दिन सुबह हमलोग उठे, फिर नास्ता कर के शांति स्तूप घूमने का प्लान किया और घूमने के लिए निकल लिए। कुछ देर बाद चलते चलते हमलोग शांति स्तूप पर पंहुचा। यह पहाड़ों के ऊपर चोटियों पे थी। ठंड के वजह से चढ़ने में बहुत प्रॉब्लम हो रहा था। तो चलिए हम आपको यहाँ के कुछ ख़ास चीज़ों के बारें में बताते है। अगर आप कभी भी लेह घूमने का प्लान करें तो एक बार यहाँ के शांति स्तूप का भ्रमण जरूर करे। यह यहाँ के लोगों के लिए बहुत महत्त्वपूर्ण माना जाता है।
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शांति स्तूप लेह-लद्दाख की सबसे प्रसिद्ध और पवित्र जगहों में से एक है। यह न सिर्फ धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है बल्कि पर्यटकों के लिए भी एक आकर्षण का केंद्र है। इसका निर्माण जापानी बौद्ध भिक्षु ग्योम्यो नाकामुरा ने 1983 में करवाया था। इसे भारत और जापान की मित्रता तथा विश्व शांति के प्रतीक के रूप में बनाया गया। जिसका उद्घाटन 1991 में 14वें दलाई लामा ने यहाँ आकर किया था। यह एक सफेद गुंबदाकार स्तूप है, जो चांस्पा हिल पर लगभग 3,600 मीटर (11,800 फीट) की ऊँचाई पर स्थित है। स्तूप के निचले हिस्से में भगवान बुद्ध के जीवन की महत्वपूर्ण घटनाओं को दर्शाती हुई सुंदर नक्काशी है और अंदर भगवान बुद्ध की एक सुनहरी प्रतिमा विराजमान है। यहां घूमने में हमलोगों को बहुत अच्छा लगा। कुछ देर हम लोग यह घूमे यहां से लेह पूरा दिखाई देता है। इसके बाद हमलोग यादों के तौर पर कुछ फोटो क्लिक कराया। इसके बाद हम लोग वापस रूम आ गया। अगले दिन हमें मेडिकल के जाना था इसलिए हमलोग रूम आ कर आराम करने लगे।
Ans . शांति स्तूप लेह शहर से लगभग 5 किमी दूर, चांस्पा हिल (Changspa Hill) पर 11,800 फीट की ऊँचाई पर स्थित है।
Ans . लेह पैलेस निर्माण 17वीं शताब्दी में राजा सेंगे नामग्याल ने करबाया था।
Ans . यहां आने का सबसे अच्छा मौसम गर्मियों (मई से सितंबर) के दौरान होता है।
Ans . मई से सितंबर का समय सबसे उपयुक्त है, क्योंकि इस दौरान मौसम सुहावना होता है और सड़कें पूरी तरह खुली रहती हैं। लेकिन अगर आप चादर ट्रेक करना चाहते है तो आप ठण्ड के मौसम आ सकते है।