आज 11 अप्रैल शाम 5:30 बजे नोएडा से मैं (संजू )और माही अपने एक नई सफर पर निकल पड़े युल्ला कांडा। इस ट्रिप के लिए हमदोनों बहुत ही ज्यादा एक्ससिटेड थे। क्योकिं यह यात्रा था ही बहुत मजेदार ,नई एक्सपीरिसंस जो करना था। वैसे हमदोनों ने कई सारे ट्रिप की जिसमे ट्रेकिंग भी किया है […]
आज 11 अप्रैल शाम 5:30 बजे नोएडा से मैं (संजू )और माही अपने एक नई सफर पर निकल पड़े युल्ला कांडा। इस ट्रिप के लिए हमदोनों बहुत ही ज्यादा एक्ससिटेड थे। क्योकिं यह यात्रा था ही बहुत मजेदार ,नई एक्सपीरिसंस जो करना था। वैसे हमदोनों ने कई सारे ट्रिप की जिसमे ट्रेकिंग भी किया है लेकिन इस ट्रिप का एक अगल ही अहसास मासूस हो रहा था, अभी तो हम पहुचें भी नहीं और दिल ही दिल बहुत खुश हो रहें थे। तो हम आपको इस ब्लॉग के माध्यम से बतायेंगें की हमारा यहाँ ट्रिप कैसा रहा और अगर आप भी ट्रिप करने का सोच रहें है तो एक बार युल्ला कांडा में ट्रेकिंग जरूर करें। तो जानते है कैसे रहा हमारा ट्रिप।
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जैसे ही हमलोग निकले उसी के कुछ देर बाद तेज अंधी तूफान और बारिश सभी एक साथ आ गई। इसके वजह से ट्रैफिक बहुत ज्यादा लग गई थी लेकिन कुछ देर बाद बारिश रुकी तो धीरे धीरे ट्रैफिक काम गया। हमलोग ने सोच लिया था आज रात ज्यादा दूर का सफर नहीं करेगें क्योंकि हमलोग अपने कार से जा रहें थे। मैंने सोच रखा था कि 11 बजे रात तक कहीं रुक कर आराम करेंगे और अगली सुबह कल्पा के लिए निकल जायँगे। अम्बाला पर करते ही रुकने के लिए होटल ढूढ़ने लगा तो चंडीगढ़ से 20 किलोमीटर पहले हमें रुकने के लिए kg रेसीडेंसी होटल मिला जो देखने में अच्छा लग रहा था। इसी होटल में हमदोनो ने रात का डिनर किया और आराम। किया फिर अगली सुबह करीब 8:30 के आस पास हम लोग यहाँ से निकल गए अपने सफर के लिए। रास्तें का व्यू देख कर ट्रिप के प्रति और भी एक्ससिटेमेंट बढ़ता जा रहा था।
जब भी बात हिमाचल की ऊँची-ऊँची चोटियों और हरे-भरे घास के मैदानों की होती है, तो युल्ला कांडा का नाम ज़रूर आता है। यह जगह अपनी अनछुई प्राकृतिक सुंदरता, शांत वातावरण और रहस्यमयी घाटियों के लिए जानी जाती है। इसकी सुंदरता हरी-भरी घास की ढलानों, देवदार के जंगलों और ऊँचाई से दिखते बर्फ से ढके पहाड़ों मन को मोह लेता है। यहाँ के दूर तक फैले मैदान और नीले आसमान के नीचे सफेद बादलों का नज़ारा मानो किसी पेंटिंग से कम नहीं होता है।
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युल्ला कांडा हिमाचल प्रदेश के किन्नौर जिले में स्थित है। जहाँ लगभग 12,000 फीट (≈ 3,895 मीटर) ऊँचाई पर कृष्ण भगवन का एक मंदिर है जो “दुनिया का सबसे ऊँचा श्री कृष्ण मंदिर” माना जाता है।
पांडवों और कृष्ण से जुड़ाव: किंवदंतियों के अनुसार, युल्ला कांडा का निर्माण पांडवों ने महाभारत के दौरान अपने वनवास के समय किया था। ऐसा कहा जाता है कि उन्होंने यहाँ भगवान कृष्ण को समर्पित दुनिया का सबसे ऊँचा कृष्ण मंदिर बनवाया था। अभी के समय में यह स्थान हिंदू भक्तों के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थस्थल है और इस मंदिर को जन्माष्टमी के दौरान विशेष महत्व दिया जाता। साथ ही यह एक अनोखी ट्रेकिंग जगह भी है जो हिमालयी सुंदरता और एकांत अनुभव प्रदान करती है।
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मैं (संजू) माही मैडम और हमारी फ्रैंड तीनो ने अपनी ट्रैकिंग की शुरुआत युल्ला खाश नाम के गांव के पास से सुबह 10 बजे से शुरू की। जो कि चैलेंज से भरा हुआ था लेकिन मजा बहुत आने वाला था। कुछ देर चलने के बाद हमे रास्ते में एक झरना मिला जिसका पानी बहुत ही क्लीन और मीठा था फिर हमलोगों ने सोच इसे पिने के लिए भर लिया ताकि आगे काम आएगा। रास्तें में हमे वह के लोकल बच्चे मिले हमने उनसे बात किया और थोड़ा सा आराम किया ,कुछ माही मैडम ने फोटो क्लिक कराया। इसके बाद हमलोगों ने अपनों ट्रेकिंग को आगे जारी किया। जब हमलोग ट्रेकिंग कर रहें थे तब आस पास के सुंदरता को देख कर एक अलग ही ख़ुशी महसूस हो रहीं थी। ये नज़ारा इतना प्यारा था की इसे देखने के बाद हमारी थकान गायब हो जा रहा था और आगे की व्यू देखने की इच्छा जाग रही थी। जैस जैसे आगे बढ़ रहें थे रास्ता बहुत खतरनाक होता जा रहा था ,एक साइड सीधी और एक साइड खाई थी,बहुत ही सतर्क से इस रास्ते पे चलना था। फिर भी हमलोगों ने खूब मजे किये ट्रैकिंग के साथ- साथ। बर्फ से ढकी पहाड़ों को देख कर सकून सा अहसास हो रहा था।
करीब 4 :30 बजे के लगभग हमलोग भगवन श्री कृष्ण के मंदिर पे पहुंच गए। इसके बाद दर्शन करके हम तीनों ने खुद सारे मस्ती किये और फोटो ,वीडियो बनाया। यहां आ के हमें (संजू) बहुत ही मजा आ रहा था हम आपको बता नहीं सकते कितना मजा आया। अगर आप भी किसी ट्रिप का प्लान कर रहें है तो एक बार यहां जरूर आये।
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इसके बाद हमलोग यहाँ से वापस आने लगे। शाम होने वाली थी तो हमने सोच आज रात बेस कैंप 1 के पास पहुंच कर वहीँ रुकेंगे। इसलिए हमने शाम होने से पहले यहाँ से निकल गए क्योकि बहुत ठण्ड पड़ने लगी थी। फिर हमलोग कैंप पहुंच कर रात में वही रुकें। अगली सुबह 6 बजे उठे और वहां के मस्त मौषम का आनंद लिए और यादोंके लिए फोटो लेना तो जरुरी है। इसके बाद हमलोग वापस ट्रैकिंग करके नीचे आएं। फिर वापस अपने नोएडा के लिए निकल पड़े। यह ट्रिप हमें जिंदगीभर याद रहेंगी। यह बहुत ही मजेदार ट्रेकिंग रहा। आप भी अगर अपने लाइफ को यादगार बनाना चाहते हो,तो एक बार यहां जरूर जांयें।