
आज मैं (संजू) और माही एक ऐसे जगह जा रहें है जहाँ जाने के बाद ऐसा लगेगा की हम धरती पर स्वर्ग को महसूस कर रहें है। आपको ये सुन के मन में यह आ रहा होगा की ऐसा कौन सी जगह है। तो जानते है मेरे इस ब्लॉग के माध्यम से कि इस बार […]
आज मैं (संजू) और माही एक ऐसे जगह जा रहें है जहाँ जाने के बाद ऐसा लगेगा की हम धरती पर स्वर्ग को महसूस कर रहें है। आपको ये सुन के मन में यह आ रहा होगा की ऐसा कौन सी जगह है। तो जानते है मेरे इस ब्लॉग के माध्यम से कि इस बार हम किस जगह पर जा रहें है और वहां की खासियत क्या है।
आज 17 अक्टूबर 2025 ,दिन शनिवार को मैं (संजू) और माही भागदौड़ की जिंदगी से दूर दिवाली की छुट्टियां मानाने ज रहें थे साथ ही नई जगह को एक्सपोलर करने भी जा रहें थे। इस बार जिस जगह का हमदोनों ने प्लान बनाया वो जगह बहुत खाश थी। आपलोगों को तो पता ही हमदोनो ट्रैकिंग के दीवाने है तो आप समझ ही गए होंगे कि जो भी जगह जा रहें है वो ट्रैकिंग के लिए बहुत फेमस होगा। दरअसल इस बार हम लोग खलिया टॉप, मुनस्यारी ( Khaliya Top Munsiyari ) जा रहें है। यह अपनी प्राकृतिक सुंदरता और अद्भुत नज़रों के लिए जानी जाती है। तो आइये जानते है खलिया टॉप, मुनस्यारी के बारें में।
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खलिया टॉप उत्तराखंड के कुमाऊँ क्षेत्र में स्थित एक प्राचीन बुग्याल (उच्च हिमालयी घास का मैदान) है। जहां स्थानीय लोगों के पशुपालन (खासकर भेड़–बकरियाँ) गर्मियों में घास के लिए और हिमालय की चोटियों के पास ठहरने के लिए उपयोग किए जाते थे। खलिया टॉप भी उन्हीं पुराने बुग्यालों में से एक है जहाँ स्थानीय भोटिया समुदाय गर्मियों में अपने जानवरों को चराते थे। लेकिन मुनस्यारी जहाँ से जीरो पॉइंट ट्रेक शुरू होता है ,वो पहले प्राचीन तिब्बती व्यापार मार्ग का हिस्सा था। वहीं पंचाचूली पर्वतों के आसपास कई कहानियां हैं कि पांडवों ने स्वर्गारोहण से पहले यहीं से यात्रा की थी ,इसीलिए पंचाचूली की चोटियों के नाम “पाँच चूल्हों” से जुड़े हुआ है। इसके पूरा जानकारियां मैं (संजू) बाद में बताउगा। उसे पहले नोएडा से मुनस्यारी तक के सुहानी सफर के बारें में जानते है।
Noida से मुनस्यारी तक का सफर बहुत लंबा है, लेकिन जितना लंबा रास्ता, उतनी ही खूबसूरत मंज़िल होती है। हम दोनों सुबह-सुबह तैयारी करके सबसे पहले ऑफिस गए रजौली गार्डन,क्योकि यहाँ दिवाली की पार्टी थी। हम दोनों पार्टी को खूब एन्जॉय किये,इसके बाद निकल पड़े मुनस्यारी के लिए। वो कहते है ना किसी भी ट्रैक का असली मज़ा तभी है जब आप सफर को भी उतना ही एंजॉय करें जितना डेस्टिनेशन को। सफर बहुत लम्बा था तो हमलोगों ने सोचा की आज रामपुर के आस पास रुकेंगे फिर अगली सुबह मुनस्यारी के लिए निकल पड़ेगें। कुछ देर चलने के बाद हमलोगो को भूख लग गई तो सोच जब तक कोई रुकने के लिए होटल मिलेगा उसे पहले कुछ खा लेते है। तभी रास्ते में शिव ढावा देखा और हमने अपनी कार वहा लगा दी। अंदर गए वहां हमदोनो ने रात का डिनर किया ,यहाँ का खाना बहुत ही स्वादिष्ट था। इसके बाद हमलोग चाय पिए और यहाँ से निकल गए ,आगे हमें रात में रुकने के लिए होटल भी देखना था। कुछ दूर चलने के बाद एक प्यारा सा होटल मिला रात को करीब 10 ;30 बज चूका था। फिर उसी होटल में हमलोग रुकें।

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अगली सुबह हमलोग करीब 8:30 बजे होटल से निकले आगे के सफर के लिए। मुनस्यारी पहुंचने से पहले रास्तें में हमलोग एक जगह रुकें वहां चाय और कुछ खाया। फिर यहाँ से निकल गए हमारी कार धीरे-धीरे पहाड़ों की गोद में पहुँच चुकी थी। जैसे-जैसे ऊँचाई बढ़ती गई, हवा ठंडी होती गई, और पेड़ों की हरियाली देखकर मन अपने-आप फ्रेश और खुश हो रहा था। माही मैडम कार के शीशे नीचे करके ठंडी हवा को चेहरे पर महसूस कर रही थी ,ऐसा लग रहा था जैसे हम धीरे-धीरे अपनी रोज की भागदौड़ वाली जिंदगी से दूर, किसी शांत और सुकून वाली दुनिया की ओर बढ़ रहे हों। रास्ते में छोटे-छोटे गांव, पहाड़ी मोड़, सबकुछ इस ट्रिप को बहुत यादगार बना रहा था।
रास्तें में रुकते मस्ती करते हुए ,क़रीब 16–17 घंटे के सफर के बाद आखिरकार हम “मुनस्यारी” पहुँच गए। इसे हिमालय का “लिटिल कश्मीर” भी कहा जाता है, और सच मानिए यह नाम इसे बिल्कुल सूट करता है। जैसे ही हमलोग मुनस्यारी पहुचें सबसे पहले होटल ढूंढे रात मने रुकने के लिए। क्योकि आज सुबह से ही हम (संजू) कार चला रहें थे बीच-बीच में रुकें भी थी। लेकिन लगातार कार चलने के बाद थकान आ गया था ,इसलिए हमें आराम करने की जरुरत थी। वहीँ अगली सुबह हमने ट्रेकिंग के लिए भी जाना था इसलिए आराम करना बहुत जरुरी था। हमदोनो होटल में खाना खाएं और जल्दी से सोने चले गए।

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अगली सुबह जब हमने होटल की बालकनी से बाहर देखा, सामने पाँच शानदार चोटियाँ चमक रही थीं,लेकिन दूर होने के वजह से थोड़ा धुंधला देख रहा था। माही मैडम ये नज़ारा देख के बहुत खुश हो गई और अब हमलोगों को ट्रेक पे जाने की जड़ली होने लगी। फिर फ्रेस होकर हमदोनों नास्ता किये और ट्रेक के लिए होटल से निकल गए खलिया द्वार। खलिया द्वार से हमें ट्रैकिंग की शुरुआत करनी थी जो जीरो पॉइंट पे ख़त्म होती।
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Ans . माही और संजू इस बार दिवाली की छुट्टियों में खलिया टॉप, मुनस्यारी (Khaliya Top Munsiyari) ट्रेक के लिए जा रहे थे, जो अपनी प्राकृतिक सुंदरता और अद्भुत हिमालयी नज़रों के लिए प्रसिद्ध है।
Ans . खलिया टॉप उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में स्थित मुनस्यारी के पास एक खूबसूरत बुग्याल (उच्च हिमालयी घास का मैदान) है।
Ans . माही और संजू अपनी यात्रा Noida से शुरू की, जहाँ पहले ऑफिस में दिवाली पार्टी अटेंड करने के बाद वे मुनस्यारी के लिए रवाना हुए।
Ans . Noida से मुनस्यारी जाने में कार से लगभग 16–17 घंटे लगता है।